रिखणीखाल-
रिखणीखाल के दुर्गम गाँव छडियाणी धूरा के प्रदेश के मुख्य मंत्री जी से गुहार कि हमारे गांव की परेशानियों को सुनें!
रिखणीखाल विकास खंड के ग्राम छडियाणी धूरा की युवती ने मुख्य मंत्री जी से गुहार लगाई है कि हमारे गांव की समस्याओं, परेशानियों को समझें तथा ध्यान आकर्षित किया है।इस गांव की समस्या ये है कि सन 2001 में तत्कालीन विधायक धुमाकोट लेफ्टिनेंट जनरल अवकाशप्राप्त टी पी एस रावत के कार्यकाल में पाणीसैण नामक स्थान से डबराड तक लगभग 11 किलोमीटर सड़क स्वीकृत हुई थी,जिसपर निर्माण कार्य भी आरम्भ किया गया था लेकिन बीच-बीच न जाने क्या आपदा आयी कि सड़क का काम ठप्प हो गया। आधा अधूरा छोड़कर कार्य रोक दिया गया।तब से सड़क की स्थिति जस की तस बनी है।अभी भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
आज प्रातः छडियाणी धूरा गाँव की महिलायें अपने सरकारी गल्ले की राशन लेने के अपने राशन डीलर के पास पाणीसैण गोदाम में पहुँचे ,जैसा कि हमेशा जाते रहते हैं। उनका स्थानीय बाजार पाणीसैण ही है।यह युवती कह रही है कि हम 5 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई में ब्रिटिश काल से ही खाद्य सामाग्री व अन्य घरेलू सामान आदि ढोते आ रहे हैं और आज के डिजिटल युग व आधुनिक भारत में भी सिर पर 20-25 किलोग्राम का बोझा ढोता रहे हैँ। पैदल मार्ग भी बडा विकट,ऊबड खाबड व झाड़ियों से घिरा हुआ है।पूरा रास्ता जंगल का है।हर कदम पर बाघ व जंगली जानवरों का आतंक बना है।इस जोखिम भरे रास्ते पर चलना बड़ा दूभर है।लेकिन हमारी परेशानी को कंन समझे।वीडियो बनाते बनाते इस युवती का सांस भी फूल रहा है तथा भावुक भी हो रही है।कहती है कि भारत का अर्थ व्यवस्था में पांचवा स्थान बताया जा रहा है।क्या यही अर्थ व्यवस्था है? सरकार कहती है कि सन 2025 तक उत्तराखंड देश का नम्बर वन राज्य बनेगा, कभी कहती है कि अगला दशक उत्तराखंड का होगा।इस हालत में कैसे होगा जैसे हमारे गांव के लोग जीवनयापन कर रहे हैं।
ये मुफ्त की सरकारी राशन हमें इस खड़ी पाँच किलोमीटर की चढ़ाई व 20-25 किलोग्राम बोझ के साथ महंगी पड़ रही है।
अन्त में आमजन मानस से अनुरोध कर रही है कि इस वीडियो को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि सरकार व जनप्रतिनिधियों तक पहुँचे और उनके ऑख कान खुलें।