विकासनगर के जाने-माने एवं प्रतिष्ठित चिकित्सक डॉ. वीरेंद्र चौहान, जिन पर एक एक युवती स्टाफ नर्स से छेड़छाड़ का आरोप लगा था और पीड़िता ने इसकी शिकायत बाजार चौकी विकास नगर में दर्ज कराई थी उसके बाद पुलिस के द्वारा संगीन धाराओं में मुकदमा पंजीकृत किया और डॉक्टर को गिरफ्तार करने के लिए एक टीम गठित कर हर ठिकानों पर दबीस दी गई लेकिन पुलिस डॉक्टर को गिरफ्तार करने में नाकाम रही उसके बाद पुलिस के द्वारा डॉक्टर वीरेंद्र चौहान पर 10000 का इनाम घोषित किया लेकिन उसके बाद भी डॉक्टर के गिरफ्तारी नहीं हुई माननीय न्यायालय के आदेश पर डॉक्टर के कुर्की वारंट भी डॉक्टर के हॉस्पिटल पर चश्मा किया गया लेकिन आज माननीय उच्चतम न्यायालय के द्वारा डॉक्टर वीरेंद्र चौहान को कुछ दिन के लिए राहत मिली बताया जा रहा है कि डॉक्टर पर झूठा आरोप है, की अग्रिम जमानत की मांग के मामले में।
माननीय उत्तराखंड उच्च न्यायालय, नैनीताल की एकल पीठ ने याचिकाकर्ता डॉक्टर के अंतरिम राहत आवेदन पर विचार किए बिना मामले को दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया। एडवोकेट द्वारा एक विशेष अनुमति याचिका दायर की गई थी। रोहिन ओझा ने माननीय उत्तराखंड उच्च न्यायालय, नैनीताल की एकल पीठ द्वारा पारित आदेश को माननीय उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी। मामला माननीय श्री न्यायमूर्ति एम.एम. की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था। सुंदरेश और माननीय श्री न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला ने 13/09/2023 को सुनवाई की, जिसमें याचिकाकर्ता के वकील द्वारा जोरदार तर्क दिया गया कि उत्तराखंड के माननीय उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने मामले पर निर्णय किए बिना मामले को दो सप्ताह के लिए स्थगित करने में गलती की है। याचिकाकर्ता के अंतरिम राहत आवेदन से उसके व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार में कटौती होती है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता के वकील द्वारा प्रस्तुत दलीलों को सुना और नैनीताल में उत्तराखंड के माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष सुनवाई की अगली तारीख तक गिरफ्तारी के खिलाफ राहत देते हुए मामले का निपटारा कर दिया।