स्मार्ट सिटी देहरादून में गड्ढों व कीचड़ के बीच सड़क ढूँढ कर भी नहीं दिखाई दे रही।
उत्तराखंड देहरादून
प्रदेश की अस्थायी राजधानी की सड़कों का इस कदर बेहाल हो रखा है कि गड्ढों व कीचड़ के बीच कहीं सड़क ढूँढ कर भी नहीं दिखाई दे रही है।खासकर उन वरिष्ठ नागरिकों के लिए जो दुपहिया वाहन पर सवार होकर घर से बाहर निकल रहे हैं। बेचारों के हाथ पांव वाहन चलाते समय कांप रहे हैं। तथा दांत, हाथ पैर सिर फूटने का डर सता रहा है।60 वर्ष से ऊपर व दिव्यांग जनों के लिए ये बहुत बड़ा संकट पैदा हो गया है।
कहा तो ये जाता है कि देहरादून स्मार्ट सिटी बन गया है या बनने की ओर है लेकिन हकीकत कुछ और ही है।हालत बद से बदतर होती जा रही है।अगर सुबह-सुबह अखबार के पन्ने पलटो, फेसबुक, व्हाट एप्प,या विज्ञापन पर नजर दौडाओ तो चारों तरफ विकास ही विकास की खबरें पढ़ने को मिलती हैं। लेकिन जब इन सब चीजों को छोड़कर बाहर देखो तो ये सब हवा हवाई ही लगता है।सरकार का फोकस 2024 पर है,उसके लिए चाहे कुछ भी व्यय करना पड़े। सड़क के गढ्ढे अहमियत नहीं रखते। किसी वी आई पी मूवमेंट पर सड़क चकाचौंध कर दी जाती हैं। क्या वो वी आई पी नहीं जानता कि असलियत व जमीनी हकीकत क्या है?
वरिष्ठ नागरिकों ने अस्पताल, कैन्टीन, बाजार आदि आना जाना ही छोड़ दिया है कि न जाने कब बीच सड़क के गड्ढों में प्राण पखेरू उड़ जायें। ये हकीकत है,पढ़ने से पहले अपनी अन्तरात्मा से पूछें कि क्या सही लिखा है या गलत?