साहिया 25 दिसम्बर
करीब 150 साल बाद घणता से चालदा माहसु देवता जौनसार बाबर जनजातीय क्षेत्र की सबसे बडी खत, शैली के दोहा मंन्दिर में विराजमान होने आ रहे हैं ।जिसकी तैयारीयों को लेकर खत के 25 गांव के लोग अभी से लग गये है। खत वासियों ने मंन्दिर का नव निर्माण पूरा कराने के साथ ही देवता के दर्शन को आने वाले श्रद्धालुओं की खाने व पीने की व्यवस्था की रूपरेखा तक तैयार करनी शुरू कर दी है। देवता के खत में दो साल के प्रवास पर आने से पूरे खत में बडा ही उत्साह देखने को मिल रहा है।
उल्लेखनीय है कि जौनसार बाबर जनजातीय क्षेत्र में कुल 24 खते है। जिसमें से 12 खते उफली खत व 12 खते निचली खत के रूप में आती हैं।उफली खत में छत्रधारी चालदा महासू देवता हिमाचल व हनोल होते हुए आते हैं जो इस समय समाल्टा से दसऊ गांव में विराजमान हैं। जबकि थैना से चलने वाले छत्रधारी चालदा महासू देवता इस समय कोठा तपलाड से एक साल पूर्व घणता गांव स्थित मंदिर में विराजमान हुए हैं। बताया जाता है कि यहां दो साल के प्रवास के बाद 2024 जून माह में खत शैली के दोहा गांव में आएंगे। करीब 150 साल के लम्बे इंतजार के बाद देवता खत शैली के दोहा गांव में बने नव निर्मित मंदिर में बिराजमान होंगे। देवता की इस इच्छा से पूरी खत बडी उत्साहित है।खत वासियों ने अपने ईष्ट देव वोठा माहसु के साथ साथ क्षेत्र के आराध्य देव छत्रधारी चालदा महासू
देवता का भी नया मन्दिर बनाया है। जिसमें लाखों रुपए का खर्च आया है। मन्दिर समिति के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह तोमर, सचिव राजेंद्र सिंह चौहान, कोषाध्यक्ष दिनेश चौहान आदि लोगों ने बताया देवता का खत में आना एक ऐतिहासिक पल साबित होगा। उन्होंने बताया कि देवता अगली साल 2024 के जून माह में आएंगे।जिसकी तैयारी खत के लोगों ने अभी से करनी शुरू कर दी है। उन्होंने बताया कि देवता के आगमन को लेकर खत वासी पिछले 12 सालों से मन्दिर का निर्माण करा रहे हैं।जिसके लिए खत के कर्मचारी वर्ग व पूरी खत के लोगों ने चालदा महासू सेवा समिति खत शैली दोहा के नाम से बनाई गई है। उन्होंने बताया कि देवता 150 साल के लम्बे इंतजार के बाद खत में आने से पूरे खत में खासा उत्साह बना हुआ है।